जंगल, जनजाति और दैवी शक्तियों से युक्त है - “कांतारा ए लेजेंड: चैप्टर 1”

Jitendra Kumar Sinha
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कन्नड़ सिनेमा अपनी रीति-रिवाजों, लोककथाओं और प्रकृति से जुड़े मिथकीय कथानकों के लिए जाना जाता है। ‘कांतारा ए लेजेंड: चैप्टर 1’ इसी परंपरा का अगला भव्य अध्याय है। यह फिल्म एक माइथिकल एक्शन ड्रामा है, जिसकी कहानी जंगल, जनजाति और दैवी शक्तियों के अनूठे संगम से बुनी गई है।

फिल्म की कथा कंतारा जनजाति के प्रमुख बर्म नामक युवा योद्धा के इर्द-गिर्द घूमती है। बर्म न सिर्फ अपनी जनजाति का संरक्षक है, बल्कि जंगलों और उनकी आत्मा का प्रतिनिधि भी है। उसकी दुनिया शांति और संतुलन से भरी होती है, जब तक कि उस पर बाहरी अत्याचार का साया नहीं पड़ता।

कहानी में असली संघर्ष तब शुरू होता है जब बंगरा साम्राज्य का राजा कुलशेखर लालच और सत्ता के नशे में जंगलों पर कब्जा जमाना चाहता है। वह वहां रहने वाली जनजाति से कर वसूलता है, जंगल का दोहन करता है और लोगों पर बेवजह अत्याचार ढाता है। बर्म यह अन्याय सहन नहीं कर पाता, और प्रतिरोध की मशाल उठाता है।

लेकिन यह लड़ाई सिर्फ मनुष्यों की नहीं, बल्कि जंगल की आत्मा की भी है। जैसे-जैसे अत्याचार बढ़ता है, जंगल की गहराइयों में सोई दैवी शक्तियाँ, पंजुर्ली और गुलिगा, जागृत होने लगती हैं। यह दृश्य फिल्म को आध्यात्मिक ऊंचाई पर ले जाता है, जहां प्रकृति स्वयं अपने बच्चों की रक्षा करने के लिए उठ खड़ी होती है।

फिल्म आगे बढ़ते हुए बर्म और राजा कुलशेखर के बीच शक्ति, सम्मान और अस्तित्व की जंग को दर्शाता है। बर्म का हर कदम न केवल अपने लोगों के लिए बल्कि जंगल की पवित्रता के लिए भी होता है। दूसरी ओर, राजा का लालच उसे और अधिक निर्दयी बनाता जाता है।

जब पंजुर्ली और गुलिगा जैसे शक्तिशाली देवता अपना कोप दिखाना शुरू करते हैं, तो कहानी चरम पर पहुंचती है। यह फिल्म दिखाती है कि जब धरती पर अनीति बढ़ती है, तो प्रकृति भी न्याय के लिए अपने दूत भेजती है।

फिल्म में ऋषभ शेट्टी बर्म के किरदार में एकबार फिर अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। जयराम, रुक्मिणी वसंत और राकेश पुजारी सह-कलाकारों के रूप में कहानी को और गहराई प्रदान करते हैं। हर चरित्र अपनी जगह पर ठोस और प्रभावशाली लगता है।

ऋषभ शेट्टी का निर्देशन फिल्म को भव्यता, गहराई और मौलिकता देता है। उन्होंने मिथकीय तत्वों को आधुनिक फिल्म तकनीक से जोड़कर एक ऐसा अनुभव तैयार किया है जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। कांतारा की खूबी इसकी धरती से जुड़ी संवेदनशील कहानी, प्राकृतिक दृश्यों का अद्भुत चित्रण और जनजातीय आस्था का सम्मान है।

‘कांतारा ए लेजेंड: चैप्टर 1’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि लोकगाथा, आस्था और प्रकृति का शक्तिशाली मिश्रण है। इसमें एक तरफ जहां एक्शन और भावनाओं का उफान है, वहीं दूसरी ओर जंगल की आत्माओं और मनुष्य के संघर्ष का मिथकीय दर्शन भी है।



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